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रन स वधान

{सामा य}
SANTOSH NIKHIL GUPTA

कोइ भी र न जब तक व धवत मं स ाण त त नह कया जाता है


। तब तक वो अपना पू
ण भाव दे
ने
मे
समथ नह हो पाता है

येक जातक को अपनी कु



डली के
ल ने
श, प चमे
श, और भा ये
श का र न या उनका उपर न मा ही धारण करना
चा हए।

यद इन तीन केअ त र अ य कसी ह से सम या आ रही हो तो उस थ त म या कर। य क य द 1,5,9 के


अ त र र न धारण कया तो वो एक नयत समय पर छल करके क देगा।

इस अव था म हमे
उस ह वशे
ष का “कवच” स करके
धारण करना चा हए। कवच स का वधान मै
फर
कभी लखूं
गा।

ये
दो वधानो के
मा यम से
हमारे
जीवन के
अने
काने
क सम या का समाधान सरलता से
कर सकते
ह।

यह सामा य वधान है
र न वशे
ष केह का दये
गये
संया म सेजतना जप कर सकते
ह उतना कर ल। सभी
केलए ा माला का योग कर।

य द आप साधक ह तो एक बे
हद मामू
ली सा उपर न या हक क भी आपको इस वधान के
दम पर आ य च कत कर
दे
गा अपनेभाव से....

कसी भी ह के
मूल र न या उपर न को ाण त ीत एवं
मं स करने
का वधान
न नवत है

1-
रन स वधान
{सामा य}
SANTOSH NIKHIL GUPTA
सव थम र न को चां
द या वण क अं
गठ
ु म ज वाकर मुका बनवा ल ।

2-
अब स बंधत ह केदन/ वार को न द समय म न द दशा को मु
खां
वत होकर बै

जाएं
। गुगणप या द सभी न य साधन कम कर ल।

3-
अब र न ज ड़त मुका को व छ जल सेनान करवा कर नज सम बाजोट पर था पत
कर तथा उस ह का यान कर।

4-
अब पं
चोपचार पू
जन करके

रन ाण त ा वधान

सव थम न न व नयोग पढ़ कर एक आचमनी जल नमा य पा म छोड़ द -

व नयोग –
॥ ॐ अ य ी ाण त ा मंय ा व णु ा ऋषय: ऋ यजु
मानस छं
दां
सी ाण
श दे
वता आंबीजम् श म् क लकम् अ मन र न ाण त ा
व नयोग: ॥

स बंधत ह क ाण त ा न न मं3 बार पढतेए कर । मंजाप के समय र न


मुका को अं गठ
ुेऔर स बंधत ह क उंग ल सेपश करे रह।
मू
लमं–
॥ॐ आं यंरंलंवं
शंषंसंहंॐ हंस: सोSहंसोSहं
हं
स: शव: अ य र न य
ाण: इह ाण: ॐ आं अ य र न य जीव इह थत: सव इंयाणी वाग्
मन वक च :ु ोत ज ा ाणा: ाणा: इहै वाग य सुखं
चीरंत ं
तुवाहा । ॐ
ॐ असु मतेपु
न मासुच :ुपु
न: ाणमीह नो धे
ही भोगम् योक प येम् सू यमुचर त
मनोमते मृ
डया न व त एस वै त ा नाम य ो य ते नय ने् यजं
तेसवमे व त तम्
भवते अ मन र न दे
वता सुत ता: वरदा भवंतु॥

5-
अब ह के
मूल मंका नद शत संया म जप कम से
कम दन मे
स प कर।

6-
जपोपरां
त दशां
श अथवा शतां
श आ तयां
उस ह क होम अ न म द।
रन स वधान
{सामा य}
SANTOSH NIKHIL GUPTA
7-
अब आपके
सम रखेए “जी वत जागृ
त र न” को धारण कर ल जए ।

सू
य–
यान -
जपाकु
सु
मसं
काशंका यपे
यंमह ु
तम्
। तमोऽ र सवपाप नं णतोऽ म दवाकरम्
॥१॥

मं-
॥ ॐ ां स: सू
याय नम: ॥

वार – रवीवार
दशा – पू

वेला – ात:
उंगली – अना मका
जप संया – ७०००/१४०००/२८०००/१२५०००
चं–
यान -
द धशङ्
ख तु
षाराभं ीरोदाणव सं
भवम्
। नमा म श शनं
सोमं
श भोमु
कु
ट भू
षणम्
॥२॥

मं-
॥ ॐ ां स: चंमसे
नम: ॥

वार – सोमवार
दशा – आ नेय {पूव-द ण}
वेला – चंो दत रा
उंगली – क न का
जप संया – ११०००/२२०००/४४०००/१२५०००

मं
गल –
यान -
धरणी गभ सं
भू
तंव ु
का त सम भम्
। कु
मारं
श ह तं
च म लंणमा यहम्
॥३॥

मं-
॥ॐ ां स: भौमाय नम: ॥
रन स वधान
{सामा य}
SANTOSH NIKHIL GUPTA
वार – मं
गलवार
दशा – द ण
वेला – संया
उंगली – अना मका
जप संया – १००००/२००००/४००००/१२५०००
बु
ध–
यान -
य गु
क लका यामं पे
णा तमं
बु
धम्
। सौ यं
सौ य गु
णोपे
तं
तंबु
धंणमा यहम्
॥४॥

मं-
॥ ॐ ां स: बु
धाय नम: ॥

वार – बु
धवार
दशा – ईशान {पू
व-उ र}
वेला – ात:
उंगली – क न का
जप संया – ९०००/१८०००/३६०००/१२५०००
गु{दे
वगु} –
यान -
दे
वानां
च ऋषीणां
च गु
ंका चन सं
नभम्
। बु भू
तं लोके
शंतं
नमा म बृ
ह प तम्
॥५॥

मं-
॥ ॐ ां स: गुवे
नम: ॥

वार – गुवार
दशा – उ र
वेला – दोपहर
उंगली – तजनी
जप संया – १९०००/३८०००/७६०००/१२५०००
शु{दै
यगु} –
यान -
हमकु
द मृ
णालाभं
दैयानां
परमं
गुम्
। सवशा व ारं
भागवंणमा यहम्
॥६॥

मं-
॥ ॐ ां स: शुाय नम: ॥
रन स वधान
{सामा य}
SANTOSH NIKHIL GUPTA
वार – शुवार
दशा – पू

वेला – ात:
उंगली – तजनी
जप संया – १६०००/३२०००/६४०००/१२५०००

शन–
यान -
नीलां
जन समाभासं
र वपुं
यमा जम्
। छायामात ड सं
भू
तं
तंनमा म शनैरम्
॥७॥

मं-
॥ ॐ ां स: शनये
नम: ॥

वार – श नवार
दशा – प म
वेला – रा ी १० बजे
उंगली – म यमा
जप संया – २३०००/४६०००/९२०००/१२५०००
रा –
यान -
अधकायं
महावीय च ा द य वमदनम्
। स हकागभ सं
भू
तं
तंरा ंणमा यहम्
॥८॥

मं-
॥ ॐ ां स: राहवे
नम: ॥

वार – श नवार
दशा – नै
ऋ य {प म-द ण}
वेला – संया
उंगली – म यमा
जप संया – १८०००/३६०००/७२०००/१२५०००

के
तु–
यान -
पलाश पु
प सं
काशं
तारका ह म तकम्
। रौ ं
रौ ा मकं
घोरं
तंके
तु
ंणमा यहम्
॥९॥
रन स वधान
{सामा य}
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मं-
॥ ॐ खां
ख ख स: के
तवे
नम: ॥

वार – श नवार
दशा – वाय {उ र-प म}
वेला – ात:
उंगली – म यमा
जप संया – १७०००/३४०००/६८०००/१२५०००

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